शुक्र के बादलों में जाएगा भारत का शुक्रयान; मार्च 2028 में भरेगा उड़ान

 


(शुक्र के बादलों में जाएगा भारत का शुक्रयान; मार्च 2028 में भरेगा उड़ान)

चाँद व मंगल पर सफल अभियान भेजकर इतिहास रच चुका इसरो अब शुक्र ग्रह पर जाने की तैयारियाँ कर रहा है।पृथ्वी की जुड़वाँ बहन के नाम से प्रसिद्ध व सौर मंडल के सबसे गर्म और चमकीले ग्रह शुक्र के लिए भारत 29 मार्च 2028 को शुक्रयान-प्रथम नामक “वीनस ऑर्बिटर मिशन”( VOM) भेजने जा रहा है। जो कि इस ग्रह की रहस्यमयी परिस्थितियों के संदर्भ में हमारी समझ को और बेहतर बनाएगा।

हाल ही में 18 सितंबर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट के द्वारा इसरो के जिन अंतरिक्ष कार्यक्रमों हेतु वित्तीय अनुमोदन प्रदान किया गया था,उसमें शुक्रयान भी सम्मिलित है,जिसके लिए 1236 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है।

-:क्या है वीनस ऑर्बिटर मिशन( VOM ):-

यह एक ओर्बिटल स्पेसक्राफ़्ट है,जोकि शुक्र ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाते हुए इसमें लगे विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से इस ग्रह के बारे में जानकारियाँ जुटाएगा। शुक्रयान हेतु कुल 19 वैज्ञानिक उपकरणों को इसरो की “एक्सपर्ट रिव्यू कमेटी”के द्वारा निर्धारित किए गए हैं,जिसमें से 16 स्वदेशी व 2 उपकरण जर्मनी, स्वीडन की साझेदारी से तथा 1 उपकरण रूस के द्वारा निर्मित किया जाएगा।इन उपकरणो सहित शुक्रयान स्पेसक्राफ़्ट का कुल वजन 2500 किलोग्राम होगा, जिन्हें भारत के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण वाहन LVM-3 के द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।

ज्ञात है कि, अंतरग्रहीय अभियानों में शुक्र ग्रह के लिए यह भारत का प्रथम अभियान होगा। इससे पहले भारत 2014 में मंगल ग्रह पर मंगलयान नामक एक ऑर्बिटर भेज चुका है।

-: वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) के उद्देश्य:- 

1) शुक्रयान ,शुक्र की कक्षा में चक्कर लगाते हुए, इसके कार्बन-डाई-ऑक्साइड युक्त घने वायुमंडल की सरंचना एवं गतिशीलता का अध्ययन करेगा।

2) शुक्र के ऊपरी वायुमंडल में स्थित आयन मण्डल, सौर पवनों के साथ किस प्रकार व्यवहार करता है, का परीक्षण करना।

3) शुक्र की सतह पर पाई जाने वाली विभिन्न चट्टानों की परतों का अध्ययन करना एवं स्थल आकृतियों की मैपिंग करना।

4) शुक्र ग्रह पर ज्वालामुखीय व भूकंपीय गतिविधियों का पता लगाना।

5) ISRO द्वारा aerobreaking व ताप प्रबंधन जैसी नवीन तकनीको का प्रदर्शन शुक्र जैसे कठोर वातावरण में करना।

6) शुक्र के वायुमंडल में स्थित धूल कणों का परीक्षण करना तथा उन पर पड़ने वाले सोलर रेडिएशन के प्रभाव का अध्ययन करना।

ध्यान रहे कि, VOM में एक हाई रेजोल्यूशन S- बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) को लगाया जाएगा,जो शुक्र के वायुमंडल में स्थित सल्फ्यूरिक अम्ल युक्त घने बादलों को भेदकर इसकी सतह पर ज्वालामुखी गतिविधियों का अध्ययन कर सके।

-:धरती से शुक्र तक की यात्रा:-

भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुक्र यान को 29 मार्च 2028 को लॉन्च व्हीकल मार्क -3 के द्वारा श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया जाएगा।लॉन्च के पश्चात प्रक्षेपण वाहन के द्वारा इस स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की अंडाकार पार्किंग ऑर्बिट (170किमी x 36000किमी) में 21.5 डिग्री इंक्लिनेशन के साथ स्थापित किया जाएगा।जहाँ से स्पेसक्राफ्ट स्वयं के प्रणोदन का उपयोग करके लगातार अपनी कक्षा व वेग को बढ़ाते हुए शुक्र की ओर रवाना हो जाएगा। लगभग 112 दिन की यात्रा तय करके यह स्पेसक्राफ्ट 19 जुलाई 2028 को शुक्र ग्रह की दीर्घ वृत्ताकार( 500 किमी x 60000 किमी ) कक्षा में प्रवेश करेगा। इसी कक्षा में चक्कर लगाते हुए शुक्रयान धीरे-धीरे शुक्र के वायुमंडल में प्रवेश करेगा,जिससे उत्पन्न घर्षण से स्पेसक्राफ़्ट की गति निरंतर कम होती चली जाएगी। इसी के परिणामस्वरूप स्पेसक्राफ्ट लगभग 6 से 8 माह बाद शुक्र की अंतिम निर्धारित कक्षा ( 200 किमी X 600 किमी ) में प्रवेश कर पाएगा। स्पेस क्राफ़्ट लगभग 4 वर्ष तक इस कक्षा में 90 डिग्री इंक्लिनेशन के साथ चक्कर लगाते हुए शुक्र के वायुमंडल ओर सतह की जानकारी जुटाएगा। यान पर लगे वैज्ञानिक उपकरण द्वारा प्राप्त इन सूचनाओं को पृथ्वी पर स्थित ISRO DEEP SPACE NETWORK ( IDSN) को भेजा जाएगा ,ताकि इनका उपयोग वैज्ञानिक समुदाय द्वारा किया जा सके।

लेखक- माँगी लाल विश्नोई

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