भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत व उनका विकास क्रम



भारत में 1960 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में परमाणु विभाग के अधीन अंतरिक्ष अनुसंधान की नींव रखी गई। जब डॉ विक्रम साराभाई के नेतृत्व में 1962 में “भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति” ( INCOSPAR ) का गठन किया गया।
~ 1962 में “थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) की स्थापना केरल में की गयी।
~ 21 नवम्बर 1963 को अमेरिका के सहयोग से निर्मित देश के पहले साउंडिंग रॉकेट “नाइक अपाचे” को थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया।
~ 15 अगस्त 1969 को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का पुर्नगठन करके “भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन”(ISRO)की स्थापना की गई।जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है।
~ 1969 में आँध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप को भारत के मुख्य स्पेसपोर्ट के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया।तथा 9 अक्टूबर 1971 को इसी लाँच पैड से RH-125 नामक साउंडिंग रॉकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया।वर्तमान में यह इसरो का मुख्य लॉन्च पैड है,जिसे सतीश धवन स्पेस सेंटर के नाम से जाना जाता है।
~ 1972 में अंतरिक्ष सम्बंधित नीतियों को बनाने के लिए “भारतीय अंतरिक्ष आयोग” का गठन किया गया, साथ ही इन नीतियों को क्रियान्वित करने हेतु परमाणु विभाग से पृथक “अंतरिक्ष विभाग” का गठन करके, इसरो को इसके अधीन लाया गया।
~ 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ के सहयोग से भारत के प्रथम प्रायोगिक उपग्रह “आर्यभट्ट”का सफल प्रक्षेपण फ्रैंच गुयाना से किया गया।
~ 1979 में ही सोवियत की सहायता से भारत ने अपने प्रथम प्रायोगिक सुदूर संवेदी उपग्रह “भास्कर -1” का सफल प्रक्षेपण किया।
~ 1980 में भारत ने “उपग्रह प्रमोचन यान” SLV-3 का सफल परीक्षण करते हुए स्वदेशी निर्मित उपग्रह रोहिणी-1 को सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया। इसी के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बड़ी छलांग लगाते हुए उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हुआ जिनके पास स्वयं की उपग्रह को प्रक्षेपित करने की क्षमता थी।
~ 10 अप्रैल 1982 को भारत के प्रथम दूरसंचार उपग्रह “ INSAT-1A “ को नासा के सहयोग से डेल्टा नामक लॉन्च व्हीकल के द्वारा प्रक्षेपित करने का असफल प्रयास किया गया।तत्पश्चात इसे 1983 में नासा के शटल द्वारा इनसेट-1B के नाम से प्रक्षेपित किया गया।
~ 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय बने,जिन्होंने दो अन्य रूसी यात्रियों के साथ सोवियत संघ के सोयूज रॉकेट के द्वारा USSR के सैल्यूट-7 स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरी।
~ 1987 में भारत के SLV-3 रॉकेट को सँवर्धित करके निर्मित किए गए “ ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल”(ASLV) का सफल परीक्षण किया गया,जो भारत का दूसरा प्रक्षेपण वाहन था।हालाँकि वर्तमान समय में SLV ओर ASLV दोनों ही सेवामुक्त हो चुके हैं।
~ 1988 में भारत के प्रथम सुदूर संवेदी उपग्रह “इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट-1A” का सफल प्रक्षेपण vostok प्रमोचन यान के द्वारा किया गया। इस प्रकार IRS-1A के विकास के साथ ही भारत ने सुदूर संवेदी उपग्रह को स्वयं डिज़ाइन करने तथा उनके रख रखाव की क्षमता हासिल करली ।
~ 1990 के दशक में इसरो ने बहुउददेशीय उपग्रह “इनसैट-2” श्रृंखला का निर्माण देश में ही शुरू किया,जो वर्तमान में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सबसे बड़ी घरेलू संचार उपग्रह प्रणालियों में से एक हैं।
~ 28 सितम्बर 1992 को ISRO ने अन्य देशों से व्यापारिक मामलों के प्रबंधन हेतु “एंट्रिक्स” की स्थापना की,जिसके माध्यम से भारत अन्य देशों को प्रक्षेपण सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।यह इसरो की प्रथम व्यावसायिक शाखा है।
~ 1994 में भारत के प्रमोचन यान प्रौद्योगिकी सीरीज़ का तृतीय प्रक्षेपण यान “पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल” ( PSLV) का सफल परीक्षण किया गया।जो अभी तक ISRO का सबसे सफल व भरोसेमंद प्रमोचन यान हैं।
~ 1999 में PSLV से विदेशी उपग्रहों को भेजने की शुरुआत की गई,जब पहली बार जर्मनी के उपग्रह को PSLV-C2 के द्वारा पृथ्वी की कक्षा में भेजा गया।अभी तक इसरो 432 विदेशी उपग्रहों को PSLV के द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर चुका है।
~ 2001 में भारत के चतुर्थ पीढ़ी के प्रमोचन यान “ जियोसिंक्रोनियस सैटेलाइट लॉंचिंग व्हिकल “( GSLV ) का सफल परीक्षण उस समय किया गया, जब 18 अप्रैल 2001 को GSAT-1 उपग्रह का प्रक्षेपण GSLV-MK2 के द्वारा किया गया। यह भारत का SLV,ASLV तथा PSLV के पश्चात चौथा लॉंच व्हिकल है।
~ 22 अक्टूबर 2008 को भारत ने PSLV-C11 के द्वारा चंद्रयान-1 का सफल प्रमोचन किया। यह पृथ्वी के अलावा किसी अन्य आकाशीय पिंड हेतु भेजा गया भारत का प्रथम अभियान था ।
~ 1 जुलाई 2013 को भारतीय स्वदेशी नौवहन तंत्र(NAVIK) के प्रथम उपग्रह “इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम” (IRNSS-1A) का सफल प्रक्षेपण पीएसएलवी/सी 22 के द्वारा किया गया।नाविक आठ उपग्रहों का एक ऐसा तंत्र है ,जो कि भारतीय उप महाद्वीपीय क्षेत्रों में किसी वस्तु अथवा स्थान की भू-स्थानिक अवस्थिति की जानकारी हेतु प्रयोग में लिया जाता है।इससे भारत की सैन्य उपयोग हेतु US के GPS से निर्भरता ख़त्म हो गई है।
~ 5 नवम्बर 2013 को इसरो के PSLV-C25 के द्वारा मंगलयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया, जिसे 25 सितम्बर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया। भारत प्रथम प्रयास में ही ऐसा करने वाला दुनिया का प्रथम देश बना।”मार्स ऑर्बिटर मिशन”(MOM) किसी अन्य ग्रह पर भेजा गया भारत का प्रथम मिशन था।
~ 18 दिसम्बर 2014 को GSLV-MK3 के द्वारा “क्रू मॉडयुल एटमोसफ़ियरिक री-एंट्री इक्स्पेरिमेंट”( CARE ) को प्रक्षेपित किया गया,यह गगनयान हेतु एक परीक्षण मिशन होने के साथ साथ GSLV-Mk3 या वर्तमान LVM-3 द्वारा प्रक्षेपित प्रथम मिशन था।ग़ौरतलब है कि LVM-3 भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है।
~ 15 फ़रवरी 2017 को इसरो ने PSLV-C37 के द्वारा एक साथ 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित करके,एक साथ सर्वाधिक उपग्रहों को भेजने का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।
~ 22 जुलाई 2019 को भारत ने GSLV-MK3 के द्वारा चाँद की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग हेतु चन्द्रयान-2 मिशन प्रक्षेपित किया ,परंतु इसका विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
~ 7 अगस्त 2022 को भारत का पहला “स्मॉल सैटेलाइट लॉंचिंग व्हीकल”(SSLV) का सफल परीक्षण किया गया।जो कि 500 किलोग्राम से कम वज़न वाले उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में प्रयुक्त होगा ।
~ 18 नवम्बर 2022 को भारत की निजी कंपनी स्काई रूट एयरोस्पेस के द्वारा इसरो के सहयोग से विक्रम -S लॉन्च व्हीकल के द्वारा “प्रारंभ” नामक पेलोड को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक लॉन्च किया ।यह भारत का प्रथम प्राइवेट रॉकेट लॉन्च है।
~14 जुलाई 2023 को LVM-3 लॉन्च व्हीकल द्वारा चंद्रयान तीन का सफल प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया गया,जिसके विक्रम लेंडर ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ़्ट लैंडिंग की।
~ 2 सितम्बर 2023 को इसरो ने PSLV-C57 के द्वारा सूर्य के अध्ययन हेतु आदित्य-L-1 मिशन को लॉन्च किया। इसे 6 जनवरी 2024 को सफलतापूर्वक धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लेंगरेज बिंदु -1 पर स्थापित किया गया।यह सूर्य के अध्ययन हेतु भारत द्वारा भेजा गया प्रथम मिशन है
~ 1 जनवरी 2024 को भारत ने PSLV-C58 के द्वारा खगोलीय एक्सरे ,ब्लैक होल तथा न्यूट्रॉन स्टार से निकलने वाली क्वेसर ,पल्सर जैसी विकिरणों के अध्ययन हेतु “एक्सरे पोलरिमीटर सैटेलाइट(Xposat) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसे इसरो तथा रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट,बेंगलुरु के द्वारा मिलकर विकसित किया गया।
~ 30 मई 2024 को भारतीय निजी कंपनी “अग्निकुल कॉसमॉस”के द्वारा अग्निबाण SorTed लॉन्च यान का सफल परीक्षण किया गया।यह भारत का प्रथम 3D रॉकेट है इस परीक्षण से अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहन मिलेगा।
इन सबके अलावा इसरो निकट भविष्य में गगनयान, निसार ,चन्द्रयान-4, मंगलयान-2,ओर शुक्रयान जैसे महत्वपूर्ण मिशनों को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने हेतु कृत संकल्पित है। ओर साथ ही चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना तथा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना करना ISRO के प्राथमिकता में शामिल है।
लेखक- मांगीलाल विश्नोई

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