हाल ही में 6 जून 2024 को अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी ‘’स्पेसएक्स ‘’ द्वारा विकसित अभी तक का सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘स्टारशिप’ का सफल परीक्षण किया गया । ज्ञात है कि इससे पहले भी स्टारशिप के तीन परीक्षण किए गये थे,लेकिन सभी प्रयास विफल रहे ।आख़िरकार चतुर्थ प्रयास में जैसे ही स्टारशिप ने वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते हुए पूर्व निर्धारित हिंद महासागर में नियंत्रित टचडाउन किया , तो मिशन कंट्रोल रूम में बैठे हज़ारों वैज्ञानिको सहित सम्पूर्ण विश्व का विज्ञान जगत ख़ुशी से झूम उठा । हालाँकि रिएंट्री के दौरान उस समय सभी वैज्ञानिको की साँसे अटक गई , जब शिप में वायुमण्डल के अत्यधिक घर्षण से उत्पन्न ऊष्मा से ग्रिड फ़िन की हीट शील्ड नष्ट होने लगी ।लेकिन राहत की साँस तब ली,जब स्टेनलेस स्टील से निर्मित स्टारशिप पर लगी सिरेमिक टाइलों ने अत्यधिक तापमान को सहन करते हुए शिप को ब्लास्ट होने से बचा लिया ।इस प्रकार शिप का सुरक्षित वापस धरती पर लौटना स्पेसएक्स की स्पेस क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हैं ।इस कम्पनी के मालिक एलन मास्क की कभी हार न मानने की ज़िद का ही परिणाम है कि ,लगातार तीन मिशन के असफल होने के बावजूद आख़िरकार चौथे प्रयास में उन्हें सफलता मिली .
स्टारशिप प्रोजेक्ट एक नजर
हाल ही में 6 जून 2024 को अमेरिकी एयरोस्पेस कम्पनी ‘’स्पेसएक्स ‘’ द्वारा विकसित अभी तक का सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘स्टारशिप’ का सफल परीक्षण किया गया । ज्ञात है कि इससे पहले भी स्टारशिप के तीन परीक्षण किए गये थे,लेकिन सभी प्रयास विफल रहे ।आख़िरकार चतुर्थ प्रयास में जैसे ही स्टारशिप ने वायुमंडल में पुनः प्रवेश करते हुए पूर्व निर्धारित हिंद महासागर में नियंत्रित टचडाउन किया , तो मिशन कंट्रोल रूम में बैठे हज़ारों वैज्ञानिको सहित सम्पूर्ण विश्व का विज्ञान जगत ख़ुशी से झूम उठा । हालाँकि रिएंट्री के दौरान उस समय सभी वैज्ञानिको की साँसे अटक गई , जब शिप में वायुमण्डल के अत्यधिक घर्षण से उत्पन्न ऊष्मा से ग्रिड फ़िन की हीट शील्ड नष्ट होने लगी ।लेकिन राहत की साँस तब ली,जब स्टेनलेस स्टील से निर्मित स्टारशिप पर लगी सिरेमिक टाइलों ने अत्यधिक तापमान को सहन करते हुए शिप को ब्लास्ट होने से बचा लिया ।इस प्रकार शिप का सुरक्षित वापस धरती पर लौटना स्पेसएक्स की स्पेस क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हैं ।इस कम्पनी के मालिक एलन मास्क की कभी हार न मानने की ज़िद का ही परिणाम है कि ,लगातार तीन मिशन के असफल होने के बावजूद आख़िरकार चौथे प्रयास में उन्हें सफलता मिली .
स्पेसएक्स का स्टारशिप प्रोजेक्ट एक द्विचरणीय प्रक्षेपण यान है जो पूर्ण रूप में पुनः प्रयोज्य होने के साथ -साथ अब तक का दुनिया का सबसे भारी व शक्तिशाली रॉकेट है ।जिसका उपयोग क्रू एवं कार्गो को पृथ्वी की कक्षा ,चंद्रमा ,मंगल व उससे भी आगे तक परिवहन में किया जाना हैं ।यह स्टारशिप प्रोजेक्ट दो चरणो से युक्त हैं ।जिसका प्रथम चरण “सुपर हेवी बूस्टर” कहलाता है , जो कि लिफ़्टऑफ़ के समय भयंकर थ्रस्ट पैदा करके स्टारशिप को चंद सैकंडों में ही अंतरिक्ष में पहुँचा देता है । तत्पश्चात ऊपरी चरण से अलग होकर ऑटोनोमस तरीके से पुनः धरातल पर लैंड करता है ।सुपर हेवी बूस्टर में 33 रेप्टर इंजनों का क्लस्टर पाया जाता है ,जो कि तरल मिथेन ओर तरल ऑक्सीजन से प्रणोदित होता हैं । वहीं स्टारशिप प्रोजेक्ट का ऊपरी व द्वितीय चरण “स्टारशिप स्पेसक्राफ़्ट “ कहलाता है ,जो स्पेस में बूस्टर स्टेज से अलग होने के पश्चात स्वयं के प्रणोद से आगे की यात्रा जारी रखता है ।इसमें 6 रेप्टर इंजन लगाए जाते हैं ।तथा यह भी सुपर हेवी बूस्टर के समान ईंधन के रूप में मिथेलोक्स का उपयोग करता है । इस स्टारशिप की कुल ऊँचाई 121 मीटर व व्यास 9 मीटर है इसका स्वयं का द्रव्यमान 50 लाख किलोग्राम है , जबकि यह 1 लाख किलोग्राम से 1.50 लाख किलोग्राम तक के भार को लेकर उड़ने में सक्षम है ।वर्तमान समय में स्टारशिप प्रोजेक्ट परीक्षण के दौर में है जिसकी शुरुआत अप्रैल 2023 में प्रथम परीक्षण के साथ हुई थी ।अब तक इसके चार टेस्ट संपन्न किए जा चुके है ,तथा कुछ ओर प्रस्तावित है ।उसके बाद शिप की नियमित सेवा प्राप्त की जा सकेगी।
स्टारशिप प्रोजेक्ट का महत्व
स्टारशिप का सफल परीक्षण अंतरिक्ष प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करेगा।
1) इससे न केवल अंतरग्रहीय मानव मिशन सफलतापूर्वक संचालित होंगे ,बल्कि पृथ्वी पर ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक की यात्रा बहुत कम समय में सम्भव हो सकेगी।
2) इससे प्रक्षेपण लागत को कम किया जा सकेगा।ऐसा इसलिए सम्भव होगा क्योंकि स्टारशिप के दोनो चरण पुनः प्रयोज्य है ।
3) हाल ही में नासा ने चंद्रमा के लिए एक आर्टेमिस मिशन प्रारम्भ किया है जिसमें वह चंद्रमा की कक्षा में “लूनर गेटवे “नामक स्टेशन स्थापित करके ,सन 1972 के बाद पहली बार मानव को पुनः चाँद की सतह पर उतारेगा ।नासा ने अपने इस मिशन में मानव को चंद्रमा तक ले जाने एवं उनकी सुरक्षित वापसी का जिम्मा स्पेसएक्स को सौंपा है।ऐसे में स्टारशिप की सफलता उस दिशा में एक बड़ी कामयाबी है । स्टारशिप लूनर गेटवे बनाने में भी नासा की मदद करेगा।
4)स्टारशिप एक साथ बड़ी संख्या में उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर सकेगा।
5)इसकी प्रक्षेपण क्षमता के बढ़ने से चंद्रमा , मंगल व अधिक दूरी पर स्थित ग्रहों तक के अभियानों को अधिक भार वहन क्षमता के साथ सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकेगा।
कुछ साल पहले स्पेसएक्स के मालिक व अमेरिकी अरबपति एलन मास्क ने दावा किया था ,कि 2029 तक उनकी कम्पनी मंगल ग्रह को कॉलोनी के रूप में विकसित करके मानव आवास में प्रयुक्त करेगी।हालाँकि उस समय मास्क का यह दावा उनके विरोधियों के लिए हास्यास्पद रहा ,क्योंकि वे पृथ्वी से औसतन 22.5 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित मंगल तक इंसान की पहुँच व वहाँ पर आने वाली कठिनाइयों से भली -भाँति परिचित थे।लेकिन स्टारशिप का सफल परीक्षण उस दिशा में एक अहम पड़ाव है।क्योंकि स्टारशिप इतना शक्तिशाली स्पेसक्राफ़्ट है कि ,यह एक साथ 100 लोगों को लेकर मंगल ग्रह तक की यात्रा करने में सक्षम हैं।ऐसे में एलन मास्क के दावे को महज़ एक हवाई दावा बताना बेवक़ूफ़ी होगा।
मंगल पर आवास की आवश्यकता क्यों ?
केवल मंगल पर ही जीवन की तलाश क्यो ?
जब मंगल,पृथ्वी से न्यूनतम दूरी पर होगा तथा उसका कोण पृथ्वी के साथ लगभग 44.4°का हो,तब पृथ्वी से स्टारशिप को मंगल के लिए लांच किया जाएगा ।इसका प्रथम चरण सुपर हैवी बूस्टर,शिप को पृथ्वी की निम्न भू कक्षा की ओर धकेल कर वापस धरती पर लौट आएगा ।जबकी स्टारशिप उसी कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा,तत्पश्चात एक अन्य स्टारशिप को धरती से लांच करके ,मंगल ग्रह की ओर जाने वाली शिप को रि फ्यूल किया जाएगा,जिसके बाद शिप मंगल ग्रह की अपनी यात्रा के लिए होहमन ट्रांसफ़र ऑर्बिट में चला जाएगा,ताकि कम समय ओर कम ईंधन से मंगल तक पहुँच सके ।तत्पश्चात 6 से 10 माह तक की लम्बी यात्रा के बाद स्टारशिप आखिरकार मंगल के वायुमण्डल में प्रवेश करते हुए पूर्व निर्धारित स्थान पर लम्बवत लैंडिंग करेगा ।