इन दिनो 59 वर्षीय भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपनी तीसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एक अन्य एस्ट्रोनौट बैरी विल्मोर के साथ अंतरिक्ष में फंसी हुई है ।
गौरतलब है कि,सुनीता ने विगत 5 जून 2024 को USA के फ्लोरिडा से अपने साथी एस्ट्रोनौट के साथ बोइंग कंपनी के "स्टारलाइनर" कैप्सूल से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)के लिए उड़ान भरी थी,जिसने 6 जून 2024 को सफलतापूर्वक ISS के साथ डॉक किया ।
ISS में पहले से ही दो चालक दल के 7 एस्ट्रोनौटस मौजुद थे,अब उनके साथ सुनीता व विल्मोर भी शामिल हो गये ।
8 दिन के परीक्षण के पश्चात 13 जून 2024 को इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को स्टारलाइनर कैप्सूल के जरिये ही वापस धरती पर आना था,लेकिन यान में आई तकनीकी खराबी के चलते उनकी वापसी को लगातार टाला जा रहा है । अब 30 दिन से भी ऊपर का समय हो चुका है ओर ये दोनों एस्ट्रोनौटस अभी तक स्पेस स्टेशन में ही फंसे हुए है,लेकिन अभी तक उनकी वापसी की कोई राह नजर नहीं आ रही है ।ऐसे में उनके चाहने वाले किसी अनहोनी को लेकर आशंकित है,क्योकिं हिंदुस्तान पहलें ही अपनी एक बेटी (कल्पना चावला ) को ऐसे ही एक अंतरिक्ष मिशन में खो चुका है ।
ज्ञात हो कि,सुनीता विलियम्स के पिता गुजरात से है,जो बाद में अमेरिका चले गये। सुनीता, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेन्सी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है । यह इससे पहलें 2006 व 2012 में दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी है, जिसमें उसे कुल 322 दिन अंतरिक्ष में रहनें का अनुभव है,साथ ही वह 7 स्पेस वॉक भी कर चुकी है ।
(अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन )
ISS पृथ्वी के सतह से लगभग 400 किमी की ऊँचाई पर स्थित निम्न भू कक्षा में चक्कर लगाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है,जो 28000 किमी/प्रति घंटा की गति से प्रत्येक 90 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है। यह पाँच देशों की एक साझी परियोजना हैं,जिसमे अमेरिका,जापान,युरोपीय स्पेस एजेन्सी,कनाडा ओर रुस शामिल हैं ।
इसका निर्माण विभिन्न खंडो में 1998 से 2011 तक किया गया है । जिसका प्रमुख उददेश्य अंतरिक्ष में भेजें जाने वाले विभिन्न मानव मिशन हेतु एक सुरक्षित आवास व प्रयोगशाला उपलब्ध करवाना है,ताकि जीरो ग्रेविटी व अंतरिक्ष पर्यावरण के क्षेत्र में विभिन्न शोध कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न किये जा सकें ।
जब से इस स्टेशन को अंतरिक्ष में स्थापित किया है,तब से ही इसके संचालन ओर निगरानी हेतु हर समय चालक दल को इसमे रखा जाता है,जिसमें मुख्यतः नासा व रोस्कोस्मॉस के 6-7 अंतरिक्ष यात्री होते है,जो की प्रत्येक 5-6 माह के बाद बदलते रहते हैं ।ये यात्री एक क्रू मॉड्युल में बेठकर ISS तक का सफ़र तय करतें हैं,जिसको पृथ्वी से रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में पहुँचाया जाता है।तत्पश्चात आगे की यात्रा क्रू मॉड्युल खुद के प्रणोद से तय करतें हुए अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुँचकर उस पर निर्मित पोर्ट पर जुड़ जाता है फिर यात्री उस क्रू मॉड्युल से निकलकर ISS में चले जाते है,तथा अपनी योजना अनुसार कार्य सम्पादित करतें हैं । जब चालक दल का कार्यकाल समाप्त होता है तो यात्री उसी क्रू मॉड्युल में बेठकर ISS से अनडॉक करके वापस धरती तक का सफ़र तय करते है।स्टेशन को निर्मित करने के बाद अब तक 270 से अधिक यात्री इसकी यात्रा कर चुके है ।
शुरुआत में नासा अपने स्पेस शटल स्पेसक्राफ्ट के द्वारा एस्ट्रोनोट को ISS तक भेजता था ।लेकिन 2011 में नासा ने स्पेस शटल को सेवा मुक्त कर दिया,जिससे वह अपने अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक भेजने के लिये पूरी तरह से रुसी यान" सोयुज "पर निर्भर हो गया ।
इसी निर्भरता को कम करने के लिए नासा ने "कमर्शियल क्रू प्रोग्राम" के अंतर्गत अमेरिका की दो निजी कंपनियो को पृथ्वी की निम्न कक्षा व ISS तक एस्ट्रोनौट व कार्गो पहुँचाने हेतु अंतरिक्ष यान बनाने की जिम्मेदारी दी । जिसमें स्पेसएक्स तथा वायुयान निर्माता कंपनी बोइंग सम्मिलित हैं ।
स्पेसएक्स ने इस दिशा में तेजी से कार्य करतें हुए यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने हेतु " ड्रेगन कैप्सूल" का निर्माण करके,2020 से नियमित रूप से यात्रियों व कार्गो को अंतरिक्ष स्टेशन तक लाने,व ले जाने का कार्य शुरु किया।
वही दूसरी ओर एविएशन इंडस्ट्री की बेताज बादशाह ,बोइंग इसमें पिछड़ गयी ,उसने लम्बे संघर्ष के बाद
" स्टारलाइनर"नामक कैप्सूल का निर्माण तो कर लिया,परंतु अभी तक वह परीक्षण के दौर में हैं। 5 जून 2024 को जिस कैप्सूल में बैठकर सुनीता व विल्मोर स्पेस में गये है,यह स्टारलाइनर की पहली मानव युक्त टेस्ट फ्लाईट है।परंतु यह टेस्ट फ्लाईट भी बोइंग के लिये किसी बुरे सपने से कम नहीं है,क्योकिं इसमें लॉन्च से लेकर अब तक कई प्रकार की गड़बड़ियां सामने आई है,जिससे दो अंतरिक्ष यात्री अभी तक स्पेस में ही अटके हुए है ।
(स्टारलाइनर में आई समस्याएँ और उनके प्रभाव)
1) हीलियम रिसाव:- स्टारलाइनर के सर्विस मॉड्युल के 5 चेंबर में हीलियम गैस का रिसाव हो रहा है ।
हालांकि यह समस्या लॉन्च के समय भी उपस्थित थी,पंरतु उस समय इसे एक सामान्य समस्या मानते हुए, स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च की अनुमति दे दी गयी। लेकिन जब शिप स्पेस में पहुँची तब ये गड़बड़ी और ज्यादा बढ़ गयी ।
प्रभाव:-हीलियम गैस सर्विस मॉड्युल के रिएक्शन कण्ट्रोल थ्रस्टर में ईंधन को प्रेशर देकर जलाने में सहायता देता है।जिससे अधिक मात्रा में थ्रस्ट उत्पन्न होती है,साथ ही हीलियम गैस,यान के रीएन्ट्री के समय भी अधिक ताप से यान की रक्षा करता है,
अगर लीक के कारण इसकी मात्रा ज्यादा कम हो जाती है,तो यह वापसी में खतरा है
2) थ्रस्टर में खराबी:- स्टारलाइनर जब स्पेस में ISS के पास डोकिंग के लिए पहुँचा,तो उसके 28 में से 5 थ्रस्टर में खराबी देखी गयी । हालांकि बाद में 4 को पुन: ठीक कर दिया गया,लेकिन 1 थ्रस्टर में अभी भी खराबी है ।
प्रभाव:-थ्रस्टर में आई अचानक खराबी के कारण स्टारलाइनर की डॉकिंग भी कुछ समय के लिए रोकनी पड़ी थी ।
थ्रस्टर,यान को रिओरिएंटेशन करके पथ परिवर्तन में जरुरी होते है ,और वापसी के समय इन्ही थ्रस्टरो को विपरीत दिशा में फ़ायर करके ,स्टारलाइनर की गति को कम किया जाएगा,ताकि यह ISS की कक्षा से निकलकर वापस पृथ्वी की तरफ़ आ सके।
(सुनीता ओर विल्मोर के बचाव के लिए विकल्प)
अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यानों को जोड़ने के लिए कुल 8 डॉक पोर्ट है,जिस पर वर्तमान में स्टारलाइनर सहित तीन क्रू यान और 2 कार्गो यान जुड़े हुए है।
1) स्टारलाइनर को ही ठीक करके, उसी के द्वारा वापस आना:-अभी तक नासा व बोइंग इसी विकल्प पर अडे हुए है,क्योकिं बोइंग का यह पहला ही मानव मिशन है और लगभग एक दशक की मेहनत के बाद इसे लॉन्च किया गया है।ऐसे में यदि बोइंग के स्टारलाइनर से एस्ट्रोनौट की वापसी नहीं होती है,तो बोइंग,स्पेस फील्ड से पूरी तरह बाहर हो जाएगा,जबकि स्पेसएक्स की मोनोपॉली स्थापित होने के भय से नासा अभी तक बोइंग के साथ खड़ा है ,वही दूसरी ओर नासा,अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों में प्रतिद्वंदी माहौल को बढ़ावा देना चाहता है।इसलिये नासा व बोइंग दोनों मिलकर स्टारलाइनर को ठीक करने में जुटे है। यह स्टारलाइनर अधिकतम 72 दिन तक ISS के साथ डॉक रहने में सक्षम है ।
2) स्पेसएक्स के ड्रेगन कैप्सूल से मदद:-
अभी स्पेसएक्स का ड्रेगन क्रू-8 ,ISS पर डॉक है,जो मार्च 2024 में 4 अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष में गया था,ऐसे में नासा चाहे तो इस ड्रेगन कैप्सूल की मदद लेकर दोनों यात्रियों को रेस्क्यू कर सकता है ।लेकिन नासा बोइंग की साख बचाने के लिये अभी तक इस पर विचार नहीं कर रहा है ।और फिर दोनों कंपनियों की वर्चस्व की लड़ाई भी इसमे बाधा बन रही है ।
3) रुस के सोयुज की मदद:- रुस का सोयुज MS-24 भी मार्च 2024 में अपने 3 अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर ISS पर गया था ।जो कि अभी भी एक डॉक पोर्ट पर ही मौजुद है।ऐसे में आपातकाल में यह भी विकल्प नासा के पास है ।लेकिन USA ,रुस के साथ कोई समझौता करने का इच्छुक कम ही नजर आ रहा है,और युक्रेन युद्ध के बाद तो बिल्कुल नहीं ।
4) चीन के सैन्झाऊ कैप्सूल की भी मदद लेने का विकल्प है ।हालांकि इसकी भी संभावना कम ही नजर आ रही है,कि नासा ऐसा करेगा ।
निष्कर्ष:- नासा को और अधिक इन्तजार किये बिना,एक कंपनी की साख के बजाय,मानव सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए,इन दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को तुरन्त रेस्क्यू किया जाना चाहिये ।इसके लिये वह चाहे तो ISS पर विधमान स्टारलाईनर CST-100 के अलावा ड्रेगन या सोयुज की मदद ले सकता हैं ।या फिर धरती से नया मिशन भेज सकता है ।
NASA को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि,जो समस्या वहाँ जाने पर अचानक आई है,वह स्टारलाइनर की वापसी के दौरान भी आ सकती है ।
ऐसे में स्टारलाइनर मानव सुरक्षा मानकों के हिसाब से अभी के लिए उचित नहीं है ।इसमे जो भी समस्या आई है,उसके आंकड़ो का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाना चाहिये,ताकि आगामी मिशनो में इन समस्याओ को ठीक किया जा सके ।और इसमे भी कोई शक नहीं कि,अंतरिक्ष स्टेशन मानव आवास के लिये पूर्णत एक सुरक्षित जगह है,लेकिन नासा को इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि, उनकी एक कर्मठ व सीनियर एस्ट्रोनौट जिनकी उम्र 60 के करीब है, को लम्बे समय तक पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर रखना , उनके स्वास्थय के लिए उचित नहीं है ,जिनके तत्कालिक या दूरगामी प्रभाव हो सकते है ।इसलिये नासा को जल्द से जल्द सुनीता को वापस पृथ्वी पर लाना चाहिये ।