भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) 2028 में सम्भावित चन्द्रयान-4 मिशन के द्वारा चंद्रमा की सतह से मिट्टी के सैम्पल को धरती पर लाने हेतु प्रयासरत है।यह मिशन चन्द्रयान -3 से भी ज़्यादा जटिल होने वाला है ,क्योंकि चन्द्रयान तीन को तो केवल चंद्रमा तक ही जाना था ,परंतु चन्द्रयान चार को चंद्रमा तक जाकर पुनः पृथ्वी तक की यात्रा करनी पड़ेगी। जो कि बेहद चुनौतीपूर्ण है।
1) ISRO के पास इतना शक्तिशाली प्रक्षेपण वाहन नहीं हैं, जो अधिक वजन वाले चन्द्रयान-4 स्पेसक्राफ़्ट को अंतरिक्ष में ले जा सके। इसलिए इसरो इसे दो भागों में प्रक्षेपित करेगा। तत्पश्चात अंतरिक्ष में ही इसे असेम्बल करेगा।
2) In orbit docking:- इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती इन ऑर्बिट डॉकिंग करना होगी। यह एक बेहद जटिल प्रक्रिया हैं, जिसके अंतर्गत कक्षा में गतिमान स्पेसक्राफ़्ट के दो हिस्सों को आपस में जोड़ा जाता है।
चन्द्रयान चार के लिए यह डॉकिंग प्रक्रिया दो बार सम्पन्न होगी। जहाँ एक बार यह प्रक्रिया पृथ्वी की कक्षा में होगी, तो दूसरी बार चंद्रमा की कक्षा में।
इस चुनौती के लिए भारत 2024 के आख़िर में “स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट”(SPADEX) मिशन के अंतर्गत डॉकिंग परीक्षण करने जा रहा है,जो कि चन्द्रयान -4 के लिए बहुत अहम है।
3) चंद्रमा की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग :-
चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। परंतु भारत 2023 में चन्द्रयान -3 के अंतर्गत विक्रम लैंडर को सुरक्षित उतारकर, यह कार्य सम्पन्न कर चुका है ,जिसके अनुभव का लाभ इसरो को चन्द्रयान चार में अवश्य मिलेगा।
4) रोबोटिक परीक्षण :- इस मिशन में चंद्रमा की सतह पर लैंडर में लगे रोबोटिक आर्म की सहायता से मिट्टी की खुदाई करके, उसमें से चयनित साक्ष्यों को इकट्ठा करना तथा उन्हें असेंडर मॉडयूल को सौंपा जाना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। पृथ्वी के अलावा किसी अन्य पिंड पर भारत ऐसा पहली बार करेगा ।
5) चंद्रमा की सतह से पुनः उड़ान भरना :-
मिशन का एक महत्वपूर्ण व चुनौतीपूर्ण पक्ष, लैंडर मॉडयूल के ऊपर विद्यमान असेंडर मॉडयूल के द्वारा ,एक रॉकेट की तरह चंद्रमा की सतह से लिफ़्ट ऑफ़ करना ।इसरो पृथ्वी की सतह से ऐसा करने में माहिर है ,लेकिन चंद्रमा पर यह पहली बार होगा।
हालाँकि इसरो इसका आंशिक परीक्षण कर चुका है, जब उन्होंने चन्द्रयान तीन के विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर ही हल्का सा ऊपर उठाकर “ hope” टेस्ट किया था।
6) चंद्रमा से पुनः पृथ्वी तक की यात्रा भी चुनौतीपूर्ण है ,किसी मिशन हेतु इसरो ऐसा पहली बार करेगा ।हालाँकि इसरो ने सूझबूझ दिखाते हुए इसका भी आंशिक परीक्षण तब कर लिया था, जब उसने चन्द्रयान तीन के प्रपल्शन मॉडयूल को,जो कि चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा था ,उसे चन्द्रयान तीन की मिशन समाप्ति पर चंद्रमा की कक्षा से निकालकर वापस धरती की कक्षा में ले आए।
7) वायुमंडल में पुनः प्रवेश तथा पृथ्वी पर सुरक्षित लैंड करना भी इस मिशन का एक महत्वपूर्ण भाग है।हालाँकि इसरो इसका भी परीक्षण गगनयान मिशन हेतु कर चुका है।2025 में गगनयान मिशन भी सम्भावित है,जिसमें इसरो 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजकर ,वापस पृथ्वी पर लाएगा । जो कि चन्द्रयान चार का आधार बनेगा।
इन सब चुनौतियों के बावजूद इसरो इस महामुक़ाम को हासिल कर ,हमें गौरवान्वित करने का अवसर अवश्य प्रदान करेगा।इस हेतु इसरो सतत लक्ष्य निर्धारित कर विभिन्न मानदंडों को मद्देनज़र रखते हुए अथक प्रयासरत है।