चाँद से मिट्टी को धरती पर लाएगा ...चन्द्रयान -4

 


चन्द्रयान-3 की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान चार को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है । हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इस मिशन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करते हुए बताया कि ,चंद्रयान -4 एक बेहद जटिल अभियान होगा ,जिसे दो अलग अलग भागों में लॉन्च करके पृथ्वी की कक्षा में ही असेंबल किया जाएगा ।इसरो की तरफ से इस संपूर्ण मिशन की, मिशन प्रोफ़ाइल निर्धारित की जा चुकी है ,जिसे अब भारत सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया है ।इसरो का यह चंद्रयान -4 मिशन संभवतः 2028 में लॉन्च किया जाएगा।

चंद्रयान -4 (एक परिचय)

यह 2003 से प्रारंभ” इंडियन लूनर एक्सप्लोरेशन मिशन “के अंतर्गत चंद्रयान श्रृंखला का चौथा स्पेसक्राफ्ट होगा ,जिसका प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह से चट्टान, मिट्टी इत्यादि साक्ष्यों को पृथ्वी तक लाना ,ताकि उनका वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सके ।इस प्रोग्राम के अंतर्गत अब तक चंद्रयान श्रेणी के तीन स्पेसक्राफ्ट भेजे जा चुके हैं ,जिसमें चंद्रयान -1, एक ऑर्बिटल मॉड्यूल था,जिसे 2008 में चंद्रमा की कक्षा में भेजा गया ।वहीं 2019 में भेजा गया चंद्रयान -2 ,जो कि  एक लैंडिंग मिशन था ,जिसको चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करना था ।लेकिन इसका लैंडर विक्रम अंतिम क्षणों में चंद्रमा की सतह पर लैंड करने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया ।अतः चंद्रयान दो के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चंद्रयान तीन भेजा गया ।जिसने 23 अगस्त 2023 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित लैंड करके नया कीर्तिमान स्थापित किया ।



( चन्द्रयान-4 का लोंच 2 भागो में क्यों )

इसरो के पास वर्तमान समय में सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण वाहन LVM-3 है ,जो कि 4000 किलोग्राम तक के पैलोड को पृथ्वी के जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट(GTO) तक ले जाने में सक्षम है।

परंतु चंद्रयान चार के अंतर्गत कुल पाँच मॉड्यूल है ,जिनका समेकित वज़न लगभग 7 हज़ार किलोग्राम है।अतः स्पष्ट है कि ,इसे एक ही बार में लॉन्च करना संभव नहीं है ।इसलिए LVM-3 व PSLV रॉकेट के द्वारा इसे दो भागों में प्रक्षेपित किया जाएगा।फिर धरती की कक्षा में दोनों हिस्सों को जोड़ा जाएगा।


(चन्द्रयान-4 में सम्मिलित मॉडयूल व उनका कार्य)
चन्द्रयान चार में कुल पाँच मॉड्यूल होंगे ,जो कि निम्न है।

1) प्रपल्सन मॉडयूल:- पृथ्वी की कक्षा में चंद्रयान चार के दोनों हिस्सों को जोड़े जाने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल ही उस समेकित स्पेसक्राफ्ट को चन्द्रमा तक ले जाएगा।

2) लैंडर मॉडयूल:- यह असेंडर मॉड्यूल को लेकर चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करेगा तथा इसमें लगा रोबोटिक आर्म चंद्रमा की सतह पर खुदाई करके मिट्टी इकट्ठा करेगा।



3) असेंडर मॉडयूल:- यह चंद्रमा की सतह से मिट्टी के नमूने लेकर लिफ़्ट ओफ़ करेगा। तथा इन नमूनों को चंद्रमा की कक्षा में लाकर ट्रांसफर मॉड्यूल के माध्यम से री एंट्री मॉड्यूल को सौंपेगा।

4) ट्रांसफ़र मॉडयूल :-यह  चंद्रमा की कक्षा में असेंडर मॉड्यूल से मिट्टी के नमूने लेने के पश्चात ,री एंट्री मॉड्यूल को लेकर पृथ्वी की कक्षा में आएगा।

5) री एंट्री मॉडयूल :- यह मॉड्यूल पृथ्वी के वायुमंडल में री एंट्री करते हुए ,पृथ्वी पर सुरक्षित लैंड करेगा ।अर्थात यही मॉड्यूल मिट्टी के सैंपल को पृथ्वी पर पहुँचायेगा


( चन्द्रयान -4 की कार्यप्रणाली)

चंद्रयान -4 को चंद्रमा की सतह से मिट्टी के नमूने लेकर वापस पृथ्वी पर आने के लिए डिज़ाइन किया गया है ।इस कार्य हेतु स्पेसक्राफ्ट के पाँचो मॉड्यूलो को 2 भागों में अलग अलग रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।जहाँ प्रथम भाग में इसके तीन मॉड्यूल ,जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल ,लैंडर मॉड्यूल व असेंडर मॉड्यूल शामिल होंगे ।जिनको LVM-3  रॉकेट के द्वारा पृथ्वी के जियो स्टेशनरी ट्रान्सफर ऑर्बिट (GTO ) में छोड़ा जाएगा ।वहीं इसके दूसरे भाग में दो मोड्यूल (ट्रांसफ़र मोड्यूल तथा री एंट्री मॉड्यूल )शामिल होंगे ।जिनको PSLV रॉकेट के द्वारा उसी GTO में प्रक्षेपित किया जाएगा।

तत्पश्चात पृथ्वी की”जियोस्टेशनरी ट्रान्सफर ऑर्बिट” में दोनों ही भागों को जोड़कर एक समेकित स्पेसक्राफ्ट निर्मित किया जाएगा।इस समेकित मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल की सहायता से “ऑर्बिट मेन्यूवरिंग”करके धरती की कक्षा से चाँद की कक्षा तक पहुंचाया जाएगा।जैसा कि चंद्रयान तीन में किया गया था।

चंद्रमा की कक्षा में स्पेसक्राफ़्ट की अनडॉकिंग करके इसके दोनों भागों को पुनः अलग किया जाएगा ।इसका एक भाग जिसमें ट्रान्सफर मॉड्यूल व री एंट्री मॉड्यूल होगा, वह चंद्रमा की कक्षा में ही चक्कर लगाता रहेगा।वहीं इसके दूसरे भाग में स्थित लैंडर मॉड्यूल व असेंडर मॉडयूल ,अपने प्रोपल्शन मॉड्यूल से पृथक होकर, चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित शिवशक्ति पॉइंट पर सॉफ़्ट लैंड करेगा।

यह लैंडर लगभग एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन )तक चंद्रमा की सतह पर रुककर ,रोबोटिक आर्म की सहायता से मिट्टी इत्यादि के साक्ष्य जुटाकर ,अपने ऊपर स्थित असेंडर मॉड्यूल को हस्तांतरित करेगा। तत्पश्चात असेंडर मॉड्यूल इन नमूनों को लेकर चन्द्रमा की सतह पर लैंडर से अलग होकर लिफ़्ट ऑफ़ करेगा ,तथा पुनः चंद्रमा की उसी कक्षा में आएगा ,जिस कक्षा में पहले से ही ट्रांसफर मोड्यूल ,री एंट्री मॉड्यूल के साथ चक्कर लगा रहा है ।जबकि लैंडर मॉड्यूल , चंद्रयान तीन के विक्रम लैंडर की तरह हमेशा के लिए चंद्रमा की सतह पर ही रह जाएगा।

असेंडर मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में ट्रान्सफर मॉड्यूल के साथ डॉक करके ,मिट्टी इत्यादि के नमूनों को ट्रांसफर मॉड्यूल के माध्यम से रीएंट्री मॉड्यूल को सौंपेगा ।तत्पश्चात ट्रांसफर मॉड्यूल से असेंडर  मॉड्यूल को अलग करके ,उसे चंद्रमा की कक्षा में ही छोड़ दिया जाएगा। जबकि ट्रांसफ़र मॉड्यूल ,री एंट्री मॉड्यूल को लेकर वापस पृथ्वी की ओर चल देगा । ट्रान्सफर मॉड्यूल में लगे “लिक्विड अपोजी मोटर्स “(LAM) की सहायता से विभिन्न मैन्यूवरिंग के द्वारा रीएंट्री मॉड्यूल को पृथ्वी की कक्षा में लाया जाएगा।इसी कक्षा में री एंट्री मॉड्यूल,ट्रांसफर मॉड्यूल से अलग होकर पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करेगा,और पैराशूट की सहायता से धरती पर निर्धारित स्थान पर लैंडिंग करेगा।यह पूरी प्रक्रिया एक रिले रेस की तरह है,जिसमें एक व्यापक व जटिल प्रणाली के द्वारा चाँद के नमूनों को पृथ्वी तक लाया जाएगा।


( चन्द्रयान-4 का महत्व )

1) भारत 2040 तक चंद्रमा पर मानव उतारना चाहता है।ऐसे में चंद्रयान चार उसके लिए एक पूरक मिशन की तरह है,क्योंकि इसके द्वारा उन तकनीकों का परीक्षण होगा,जो मानव को चाँद पर उतारने हेतु आवश्यक है।

2) अगर भारत चंद्रयान चार के द्वारा चन्द्रमा की सतह से मिट्टी व चट्टानों के साक्ष्यों को सफलतापूर्वक पृथ्वी पर ले आता है ,तो वह USA,रूस व चीन के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बनेगा।जो हमारे लिए राष्ट्रीय गौरव का विषय होगा।ग़ौरतलब है कि ,चीन भी हाल ही में चांग ई 6 मिशन के द्वारा चन्द्रमा के अंधेरे वाले हिस्से से मिट्टी के नमूनों को लेकर आया है।

3) इसरो की साख में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।भारत उभरती हुई स्पेस पावर बनके उभरेगा।

4)चन्द्रमा की मिट्टी व चट्टानो के वैज्ञानिक परीक्षण से चन्द्रमा के विषय में बेहतर समझ विकसित होगी।


                                                                     






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